जमातियों के संपर्क में आने वालों के कई परिवारों में पुरुष सदस्य तो कोरोना पॉजिटिव निकले, लेकिन महिलाएं निगेटिव पाई गईं। वैसे भी पूरे मामले को देखें तो राजधानी में कुल मरीजों में 27 फीसदी ही महिलाएं रहीं। वहीं, बच्चों की संख्या करीब एक फीसदी रही। महिलाओं की संख्या कम होने की वजह चिकित्सा विशेषज्ञ प्रथमदृष्टया सोशल डिस्टेंसिंग मान रहे हैं। पर, जमातियों के संपर्क में आए कई परिवारों के पुरुष सदस्य ही क्यों पॉजिटिव पाए गए, इस सवाल पर चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी ज्यादा संभावना है कि इम्युनिटी इसके पीछे बड़ी वजह हो। बहरहाल, संक्रामक रोग नियंत्रण विभाग इस पर अलग से अध्ययन करने की तैयारी में है। राजधानी के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां स्थानीय और जमाती मिलाकर 180 से अधिक लोग पॉजिटिव पाए गए। इनमें महिलाओं की संख्या 50 है, जबकि 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या सिर्फ दो है। उम्र के हिसाब से देखें तो पांच महिलाएं 60 वर्ष से ऊपर की हैं। अन्य सभी 20 से 40 वर्ष के बीच की बताई जा रही हैं। आखिर क्या हो सकती हैं वजहें केजीएमयू के संक्रामक रोग यूनिट प्रभारी डॉ. डी. हिमांशु का कहना है कि आम तौर पर महिलाएं बाहर कम निकलती हैं, इसलिए उनके संक्रमित होने की आशंका कम रहती है। ऐसा भी संभव है कि कुछ महिलाओं में संक्रमण हुआ हो और समय रहते ठीक हो गया हो, लेकिन यह अभी अनुमान ही है। दूसरे प्रदेशों और विदेशों में भी महिलाओं के संक्रमित होने की संख्या कम मिली है। कई देश ऐसे हैं जहां बाहर निकलने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा होती है, लेकिन वहां भी कोरोना की चपेट में महिलाएं कम ही आई हैं। लेकिन इस पर विस्तृत जांच होने के बाद ही स्थिति साफ होगी। सोशल डिस्टेंसिंग या इम्युनिटी, पता लगाया जाएगा डॉ. हिमांशु का कहना है कि संक्रमित होने वाली महिलाओं का डाटा अलग किया जा रहा है। कुछ दिन बाद कम्युनिटी बेस्ड सर्वे होगा। इसमें देखा जाएगा कि जिस इलाके में महिलाएं संक्रमित हुईं उनमें एंटीबॉडीज की क्या स्थिति है और जहां संक्रमण कम है, उस इलाके की महिलाओं में एंटीबॉडीज की क्या स्थिति है। इससे यह पता लगाया जाएगा कि महिलाओं के कम संक्रमित होने की वजह सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग है या इम्युनिटी से जुड़ा कोई दूसरा कारण है। क्योंकि महिलाओं के बीच एक बड़ी संख्या को हाई रिस्क की श्रेणी में रखा गया है। कई देशों में चल रहा है अध्ययन जिन देशों में कोरोना पहले आ गया, वहां महिलाओं की संख्या कम पाई गई है। स्पेन, इटली, न्यूयार्क, चीन सहित कई देशों में चिकित्सा विशेषज्ञ इसके मूल्यांकन में जुटे हैं। दो दिन पहले मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना का असर महिलाओं पर कम होना चिकित्सा जगत के लिए शोध का विषय बन गया है। विश्वस्तरीय डाटा पर गौर करें तो कोरोना की चपेट में अब तक आने वाले कुल मरीजों में पुरुषों की संख्या 61.8 और महिलाओं की 38.2 प्रतिशत है। इसी तरह मृत्यु दर देखें तो पुरुषों का प्रतिशत 2.8 और महिलाओं का 1.7 पाया गया। शोध होगा, तभी पता चलेगी वजह स्वास्थ्य विभाग की ओर से उन सभी के सैंपल लिए गए, जिनमें लक्षण दिखे या जो मरीज के क्लोज कॉन्टेक्ट में थे। राजधानी में महिलाओं की संख्या काफी कम है। यह आंकड़ा चौंकाता जरूर है, लेकिन दूसरी जगह भी ऐसे आंकड़े सामने आए। भविष्य में कभी शोध होगा तब पता चलेगा कि असली वजह क्या है। अभी तो हम यही मान रहे हैं कि लोगों के संपर्क में कम रहने से ऐसा हुआ होगा। - डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, सीएमओ विस्तृत अध्ययन की जरूरत इस मामले पर विस्तृत शोध की जरूरत महसूस की जा रही है। कई देशों ने डाटा एनालिसिस शुरू भी कर दिया है। हम भी डाटा रख रहे हैं। क्योंकि जमातियों के संपर्क में परिवार का एक सदस्य आया और उसी परिवार के पुरुष सदस्य पॉजिटिव पाए गए और महिलाएं निगेटिव। - डॉ. डी हिमांशु, प्रभारी संक्रामक रोग य
जमातियों के संपर्क में आए परिवारों की महिलाओं में भी कोरोना का संक्रमण कम